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यही तो इंसानियत है




यही तो इंसानियत है

खेल इतने खेलती है जिंदगी
वक्त को समझों तो ही बेड़ा पार है
कभी किसी का बुरा ना चाहों
यही तो इंसानियत है।
मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है
हर पहलू जिंदगी का इम्तिहान होता है
न होने दें जुल्म किसी पर
यही तो इंसानियत है।
अनपढ़ को तुम शिक्षा दो और
अमीरी एवं गरीबी के पर्दा को गिरा दो
अंधे की तुम लाठी बनो और
बनो तुम बहरे के कान
यही तो इंसानियत है।
जीवन में अगर सफलता की चाह है तो
दूर दृष्टि रखना होगा
पसीने में नहाने वाला व्यक्ति ही
इतिहास बदल पाता है
भटके हुए राही को राह जरूर दिखा देना
यही तो इंसानियत है।
कलयुग में सबकी अपनी चिंताएं हैं
पर कथनी और करनी में अंतर न हो
किसी के राहों पर कांटे न बोना
यही तो इंसानियत है।

नूतन लाल साहू




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2 Comments

वानी

24-Jun-2023 07:26 AM

Nice

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Haaya meer

26-May-2023 09:35 AM

Lajavab

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